Sunday 8 July 2012

रेडियो प्लेबैक इंडिया: वर्षा ऋतु के रंग : मल्हार अंग के रागों का संग

रेडियो प्लेबैक इंडिया: वर्षा ऋतु के रंग : मल्हार अंग के रागों का संग

बहुत ही सही समय है मन को मेघों के रंग में रंगकर भीग जाने का...कहां से आए बदरा...आसमान को निहारिए , बादल उमड़ते-घुमड़ते आपकी ओर आते दिख जायेंगे...फिर मन करेगा ' बरसो रे  मेघा-मेघा...'

Saturday 7 July 2012

सविता सिंह

लोककथा 
                      ठनठन गोपाल

   एक औरत थी। उसके पति का नाम ठनठन गोपाल था। औरत को पति का यह नाम बिल्‍कुल पसंद नही था। वह जब भी किसी के मुंह से अपने पति का नाम सुनती, चिढ़ उठती। वह पति से हमेशा नाम बदलने को कहती। परन्‍तु ठनठन गोपाल हंस कर टाल देता। कहता कि नाम में क्‍या रखा है। उसकी पत्‍नी अपनी जिद पर अड़ी रही कि वह उसका नाम बदल कर ही दम लेगी। उसकी यह जिद देखकर ठनठन गोपाल ने उसे अपना नाम बदलने की अनुमति दे दी।
    औरत ने खुशी-खुशी पंडित जी को बुलाया और पति का नाम बदलने के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाया। शुभ मुहूर्त के समय नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू हुई। पंडित जी ने उस औरत से पूछा, ' तुम अपने पति का क्‍या नाम रखना चाहती हो ? '
    औरत पंडित जी को अपने पति का नया नाम बताने ही जा रही थी कि ठनठन गोपाल ने एक और प्रयास किया उसे समझाने का। उसने उससे कहा , 'भाग्‍यवान, एक बार फिर मै तुम्‍हें कहता हूं कि नाम मे कुछ नही रखा है। अगर तुम्‍हे मेरी बात का विश्‍वास नही होता तो एक बार बाहर जाकर कुछ लोगो से उनका नाम पूछकर आओ। अगर उनका नाम बल्‍कुल अर्थहीन न हुआ तो फिर तुम जो चाहो  मेरा नाम रख सकती हो।  औरत पति की बात मानकर बाजार  की ओर चल पड़ी। रास्‍ते में उसे एक मुर्दा जाता दिखा। उसने उसके साथ के आदमियों से उसका नाम पूछा। लोगों ने मृत व्‍यक्ति का नाम अमर सिंह बताया। नाम सुनकर औरत को बड़ा आश्‍चर्य हुआ। नाम अमर सिंह होते हुए भी वह क्‍यो मर गया!  वह आगे चल पड़ी। आगे एक भिखारी मिला। औरत ने उसका नाम पूछा तो उसने बताया धनपति। नाम धनपति और काम  भीख मांगना! वह मन ही मन हंसती हुई आगे बढ़ गई। आगे उसे एक औरत गोइठा पाथती हुई दिखी। औरत ने उसका नाम भी पूछने का विचार किया। उसने उसके पास जाकर उसका नाम पूछा, तो उसने बताया लक्ष्‍मी। नाम लक्ष्‍मी  और गोइठा पाथ रही है! उसने सोचा,  'वाह री,  नाम की लीला! अभी तो मैने नामों की पड़ताल  शुरू ही की है तो यह हाल है। अगर कुछ  देर और इसी तरह के नाम सुनने को मिल गये तो क्‍या होगा ? '  तभी उसे एक सेठ आता दिख गया। औरत ने सोचा कि सेठ का नाम तो उसके अनुरूप ही होगा। उसने सेठ से उसका नाम पूछा तो उसने बताया कौड़ीमल। कुछ और आगे बढ़ी तो एक अंधा व्‍यक्ति दिखा। लगे  हाथ उसने उसका नाम भी पूछ लिया।  उसने बताया नयनसुख। अब तो  और किसी  का नाम पूछने की उसने जरूरत ही नही समझी। वह तेजी से घर की ओर चल पड़ी। घर पहुंचकर वह ठनठन गोपाल से बोली, ' तुम ठीक ही  कहते थे।  नाम में कुछ नही रखा। जिसका नाम कौड़ीमल था उसके पास धन ही धन था और जिसका नाम धनपति था और लक्ष्‍मी था, दोनों  ही भिखारी और गरीब थे। इससे अच्‍छा तो मेरा ठनठन गोपाल ही है। मुझे अब तुम्‍हारा नाम बदलने की जरूरत नही। तुम ठनठन गोपाल ही ठीक हो।'    इसके बाद उसे पति के  नाम से कभी कोई चि‍ढ़ महसूस नही हुई, क्‍योंकि उसे यह बात अच्‍छी तरह मालूम हो गई थी कि‍ वास्‍तव में नाम में कुछ नही रखा।