Wednesday 11 January 2012

कविता

                                                                           मां 


 मां
रोज सपने में आती हो
लोरी गाती हो
गीत गुनगुनाती हो
कहा‍नियां सुनाती हो
फिर न जाने कहां खो जाती हो
मां
आती तो हो
सपने में ही सही
गाती हो
गुनगुनाती हो
मुझे सोना आजकल बहुत ही अच्‍छा लगता है
क्‍योंकि मां से मिलना जो होता है
रात ही क्‍यों आजकल तो दिन में भी
सोने का मौका निकाल लेती हूं
क्‍योंकि दिन के सपने सच्‍चे जो होते हैं
मन का भुलावा है
यह एक छलावा है
फिर भी मैं नींद के आगोश में जाना चाहती हूं
क्‍योंकि मां तो आयेगी ही
सपने में ही सही
गायेगी, गुनगुनाएगी
सपने में ही सही
सपने सच्‍चे लगते हैं
सपने अच्‍छे लगते हैं
मां का साथ हो तो
सपनों की दुनिया भी
अपनी ही लगती है
मां सपने में
बहुत ही प्‍यारी लगती है

2 comments:

  1. मां को गये आज पूरे एक महीने हो गए । मां की याद न जाती है और न जायेगी । जिनकी मां उनके पास हैं वे बड़े भाग्‍यवान हैं क्‍योंकि उनके साथ साक्षात भगवान हैं ।

    ReplyDelete