Tuesday 12 July 2011

... मेरी मां ...





  • मां, मेरी मां  

     प्यारी...

     सुन्दर...

    हंसता चेहरा

    दमकता चेहरा   
      
    मस्ती के घोल

     आशीष के बोल

    सबकी खुशी में

    शामिल

    सबके दुःख में नहीं

    क्योंकि

    जिस पर भी

    मां के वटवृक्ष की

    छाया है

    दुःख उसके पास

    फटक नहीं पाया है

    हां, ऐसी है मेरी मां

    मेरी मां

    सिर्फ

    मेरी

    मां...

  • -सविता सिंह

2 comments:

  1. सविता जी आप वाकई बहुत सुन्दर लिखती है ....आपकी सोच अच्छी है.... जो आप इतना अच्छा लिख सकीं है ये हर किसी के बस कि बात नहीं है ...धन्यवाद आपको

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  2. कविता भावमयी है।

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