बैल और मनुष्य
ब्रह्मा जी ध्यान लगाए बैठे थे। उन्होंने देखा कि धरती पर मनुष्यों का जीवन बहुत ही अस्त-व्यस्त है। जिसके मन में जब आता खाता, नहाता या सोता । कोई किसी का ख्याल न करता। यह सब देखकर ब्रह्मा जी को बड़ी चिंता हुई। वे विचार करने लगें कि क्या उपाय किया जाय, जिससे धरती पर मनुष्यों का जीवन सुचारू रूप से चल सके। अगर जल्द ही कोई उपाय न किया गया तो धरती का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा। कुछ देर विचार मग्न हो वे उपाय सोचते रहे। उन्हें जल्द ही एक उपाय मिल भी गया। तब वे फिर सोचने लगें कि यह उपाय धरती वासियो के पास किसके जरिए पहुंचाया जाय। तभी उन्हें बैल आता दिख गया। उन्होंने उसे पास बुलाया। पास आकर बैल ने उन्हें प्रणाम किया। ब्रह्मा जी बोलें, ' तुम तो देख ही रहे हो। धरती पर जीवन कितना अस्त.व्यस्त है। न खाने का कोई नियम है और न नहाने-सोने का। तुम ऐसा करो, धरती पर जाओ और सभी मनुष्यों से कहो कि वे दिन मे तीन बार नहायें, एक बार खायें और एक ही बार सोयें। समझ गये ना। यही बात याद करके जाओ और उन्हें कहना। कुछ और मत कहना।'
बैल ने स्वीकृति मे सिर हिला दिया और ब्रह्मा जी को प्रणाम कर , आज्ञा लेकर धरती की ओर चल पड़ा। धरती पर पहुंच कर उसने सभी मनुष्यों को बुलाया और कहा, ' भगवान ब्रह्मा जी ने तुम लोगों को तीन बार खाने, एक बार नहाने और एक बार सोने को कहा है।'
मनुष्यों ने उसकी बात मान, उसी तरह आचरण करने का वचन दिया। तब संतुष्ट होकर वह ब्रह्मा जी के पास लौटा और बोला, ' भगवन, जैसा आपने कहा था, वैसा ही मैंने धरती वासियों को कह दिया। उन्होंने आपकी बात पर अमल करने का मुझे वचन दिया है।'
ब्रह्मा जी बोले, ' वत्स, मैंने तुमसे क्या कहा था, धरती वासियो को बोलने को, उसे जरा एक बार फिर से मेरे सामने कहो तो।'
बैल ने कहा, ' मैंने उन्हें तीन बार खाने, एक बार नहाने और एक बार सोने को कहा है।'
यह सुनकर मुर्ख बैल पर उन्हें क्रोध आ गया। उन्हें लगा कि अगर मनुष्य दिन मे तीन बार खायेगा तो धरती पर अनाज का अकाल ही हो जायेगा। एक समय के पश्चात सभी मनुष्य भूख से मरने लगेंगे। उन्होंने बैल को शाप दया, ' तूने अपनी मूर्खता के कारण धरती वासियों को तीन बार खाने को कहा है। इसलिए तू धरती पर जा और हल मे जुतकर अन्न पैदा कर, जिससे कि सभी मनुष्य तीन समय खा सकें।'
कहा जाता है कि तभी से बैल धरती पर हल में जुतकर मनुष्यों के लिए तीन समय के भोजन के लिए अन्न उपजाता है। और आज भी वह मूर्खता का प्रतीक है।
रोचक कथा. धन्यवाद.
ReplyDeleteतूने अपनी मूर्खता के कारण धरती वासियों को तीन बार खाने को कहा है। इसलिए तू धरती पर जा और हल मे जुतकर अन्न पैदा कर, जिससे कि सभी मनुष्य तीन समय खा सकें.बहुत खूब,सुंदर पेशकश .धन्यवाद
ReplyDeleteसविता जी शायद यही वजह है की भगवन भोलेनाथ ने अपनी सवारी बैल को चुना !
ReplyDeleteबढ़िया कहानी
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